Everything about Shiv chaisa
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तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
शिव भजन
अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
अर्थ: हे Shiv chaisa प्रभू आपने तुरंत तरकासुर को मारने के लिए षडानन (भगवान शिव व पार्वती के पुत्र कार्तिकेय) को भेजा। आपने ही जलंधर (श्रीमद्देवी भागवत् पुराण के अनुसार भगवान शिव के तेज से ही जलंधर पैदा हुआ था) नामक असुर का संहार किया। आपके कल्याणकारी यश को पूरा संसार जानता है।
अर्थ: हे शिव शंकर आप तो संकटों का नाश करने वाले हो, भक्तों का कल्याण व बाधाओं को दूर करने वाले हो योगी यति ऋषि मुनि सभी आपका ध्यान लगाते हैं। शारद नारद सभी आपको शीश नवाते हैं।
बृहस्पतिदेव की कथा
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब more info नाम कहाई॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
श्रावण मास विशेष : शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ,देगा मनचाहा shiv chalisa lyricsl लाभ
नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा।
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
शिव आरती